ग्वार फसल पर फंगस का खतरा : बारिश और नमी के कारण रोग बढने से किसान चिंतित, ऐसे करें फसल की सुरक्षा
ग्वार फसल पर फंगस का खतरा : बारिश और नमी के कारण रोग बढने से किसान चिंतित, ऐसे करें फसल की सुरक्षा
खेत तक : चंडीगढ़, किसान फिलहाल बारिश का मोसम चल रहा हैं। दिनोदिन हो रही बारिश के कारण जहां लोगों को राहत मिली है वहीं कुछ किसानों के लिए यह बारिश आफत बन गई है। धान के किसानों के लिए यह बारिश संर्जिवन बूंटी की तरह काम कर रही है। लेकिन ग्वार की खेती कम पानी व बैरानी खेती है। जिन किसानों की खेती बारिश पर निर्भर है वो किसान ही ज्यादा तर ग्वार की खेती अधिक करते है।
किसान भाईयों लगातार हो रही बारिश के कारण नमी और फंगस रोग ने ग्वार की फसल पर गहरा असर डाला है। जबकि किसानों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है। ग्वार फसल में फंगस रोग के बढ़ते प्रकोप के कारण किसानों कि फसल धीरे धीरे चोपट हो रही है । जिसके चलते किसान भाइयो को तत्काल कदम उठाने की सलाह दी जा रही है।
हरियाणा के कई जिलों में पिछले कुछ दिनों से हो रही अधिक बारिश के कारण नमी बढ़ गई है जिससे ग्वार फसल में फंगस रोग तेजी से फैल रहा है। एचएयू के सेवानिवृत्त ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बीडी यादव के अनुसारए इस मौसम का असर ग्वार पर अलग ही दिखाई दे रहा है। कई स्थानों पर फसल को फंगस रोग ने जकड़ लिया हैए जिससे किसान परेशान हैं।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना सिफारिश के कृषि रसायनों का उपयोग किसानों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसल सुरक्षा के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर ही दवाओं का चयन करें। नमी के कारण ग्वार के पत्ते काले पड़ने लगे हैंए जिससे फंगस का खतरा और बढ़ गया है। इसलिए जो किसान पहले से ही फंगस की रोकथाम के लिए एक स्प्रे कर चुके हैंए उन्हें तुरंत दूसरा स्प्रे करने की सलाह दी जाती है।
डॉ. यादव ने बताया की ग्वार फसल में फंगस की दो मुख्य बीमारियां पाई जा रही हैं, जीवाणु अंगमारी और आल्टरनेरिया लीफ स्पोट। जीवाणु अंगमारी में पत्तियों पर काले धब्बे दिखाई देते हैंए जो तेजी से फैलते हैं। आल्टरनेरिया लीफ स्पोट में पत्तियों पर भूरेए गोल आकार के धब्बे बनते हैंए जो समय के साथ बढ़ते जाते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए डाइथेन एम.45 ;मेन्कोजैबद्ध दवा का 400 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
फसल की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि किसान समय पर सही दवाओं का चयन करें और विशेषज्ञों की सलाह लें। मौसम में बदलाव के साथ ही फसल पर आने वाले रोगों से बचने के लिए सतर्क रहना जरूरी है। जो किसान सही समय पर दवाओं का स्प्रे करते हैं उनकी पैदावार अलग ही होती है।